क्या बच्चों को सिखाने के लिए थप्पड़ मारना सही है? जानिए सही तरीके
माता-पिता अक्सर सोचते हैं कि बच्चों को सख़्ती से या कभी-कभी थप्पड़ मारकर ही सही दिशा में लाया जा सकता है। लेकिन असलियत यह है कि थप्पड़ मारना या मारपीट करना बच्चों को सिखाने का सही तरीका बिल्कुल नहीं है।
बच्चा उस समय डरकर मान तो जाता है, लेकिन यह सीखने का तरीका नहीं है। डर से सीखी गई बातें लंबे समय तक याद नहीं रहतीं, बल्कि इससे बच्चे का आत्मविश्वास और माता-पिता पर भरोसा भी कमजोर हो सकता है।
क्यों बच्चों को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए?
- 🚫 विश्वास की कमी – बच्चा माता-पिता से डरने लगेगा, जिससे प्यार और भरोसा कम हो जाएगा।
- 🚫 डर और गुस्सा – बच्चा पढ़ाई को मज़ेदार नहीं, बल्कि बोझ समझने लगेगा।
- 🚫 गलत सीख – बच्चा मान लेता है कि समस्याओं का हल मार-पीट है।
- 🚫 आत्मविश्वास में कमी – बच्चे को लगेगा कि वह हमेशा ग़लत है, जिससे उसका आत्मसम्मान घटेगा।
बच्चों को सिखाने के बेहतर तरीके
👉 1. प्रशंसा करें (Positive Reinforcement)
छोटी-सी प्रगति पर भी तारीफ़ करें। जैसे – “वाह, तुमने 19 बहुत अच्छा लिखा!”
👉 2. धैर्य और दोहराव (Patience & Repetition)
बच्चे धीरे-धीरे सीखते हैं। बार-बार प्रैक्टिस कराने से ही वे मजबूत होते हैं।
👉 3. खेल-खेल में पढ़ाई (Learning through Fun)
नंबर और अक्षरों को गानों, रंगों, या ड्रॉइंग के ज़रिए सिखाएँ।
👉 4. नियम और रूटीन (Routine)
रोज़ 15–20 मिनट का पढ़ाई समय तय करें।
👉 5. प्रोत्साहित करें, तुलना न करें
हर बच्चा अपनी गति से सीखता है। तुलना करने से बच्चा हतोत्साहित हो जाता है।
एक उदाहरण
मान लीजिए आपका बच्चा “1920” सही से नहीं लिख पा रहा है। गुस्सा करने या थप्पड़ मारने के बजाय आप कहें:
“कोई बात नहीं, चलो फिर से मिलकर लिखते हैं।”
फिर आप उसे रेत, मिट्टी, या रंगीन पेंसिल से लिखने को कहें। बच्चे को जब मज़ा आने लगेगा, तो सीखना भी आसान हो जाएगा।
निष्कर्ष
बच्चों को सिखाने के लिए थप्पड़ मारना या मारपीट करना कभी भी सही विकल्प नहीं है। असली सीख प्यार, धैर्य और प्रोत्साहन से आती है। जब बच्चा सुरक्षित और प्रोत्साहित महसूस करता है, तभी वह पूरे मन से सीखता है।
👉 तो अगली बार जब आपका बच्चा गलती करे, तो याद रखें –
थप्पड़ नहीं, बल्कि प्यार और धैर्य ही असली शिक्षक हैं।
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